भगवान चित्रगुप्त हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें यमराज (मृत्यु के देवता) के सहायक और मानव कर्मों के दिव्य लेखाकार के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने उन्हें सृष्टि में जीवों के कर्मों का न्याय करने के लिए बनाया। भगवान चित्रगुप्त अपनी निष्पक्षता, न्यायप्रियता और धर्म के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं।
ब्रह्मा के शरीर से उत्पन्न: भगवान चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा के शरीर (काया) से उत्पन्न हुए थे, इसलिए उन्हें कायस्थ समुदाय का पूर्वज माना जाता है।
न्याय के लिए नियुक्त: ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को मानव जीवन के अच्छे और बुरे कर्मों का न्याय करने के लिए नियुक्त किया।
यमराज के साथ भूमिका: भगवान चित्रगुप्त, यमराज (मृत्यु के देवता) के साथ मिलकर मृत्यु के बाद आत्माओं के कर्मों के आधार पर उनके भाग्य का निर्धारण करते हैं।
चित्रगुप्त जयंती: उनकी जयंती को चित्रगुप्त जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो दीवाली के बाद द्वितीया (दूसरे दिन) को होती है।
भगवान चित्रगुप्त के 12 पुत्र थे, जिनसे कायस्थ समुदाय के 12 प्रमुख गोत्र (वंश) उत्पन्न हुए। ये गोत्र निम्नलिखित हैं:
प्रत्येक गोत्र के अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व हैं, जो कायस्थ समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
कायस्थ समुदाय को भगवान चित्रगुप्त का वंशज माना जाता है। इस समुदाय की शिक्षा, प्रशासन और न्याय के क्षेत्रों में एक विशिष्ट पहचान है।
भारत में भगवान चित्रगुप्त के कई प्रमुख मंदिर हैं, जो उनकी पूजा और सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करते हैं। कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:
चित्रगुप्त मंदिर, पटना (बिहार): यह मंदिर भगवान चित्रगुप्त की भव्य मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।
चित्रगुप्त धाम, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): संगम के पास स्थित यह मंदिर हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।
चित्रगुप्त मंदिर, कोटा (राजस्थान): इस मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
चित्रगुप्त मंदिर, हैदराबाद (तेलंगाना): यह मंदिर विशेष रूप से कायस्थ समुदाय के लिए श्रद्धा का स्थल है।